Vastu Tips For Home in Hindi | जान लें घर के मेन गेट से जुड़े ये वास्तु नियम, छोटी सी गलती भी दे सकती है बहुत क्लेश!
Vastu Tips | वास्तु के कुछ नियम जो आपकी परेशानियों को करेंगे दूर
घर के मेन गेट (मुख्य द्वार) का वास्तु शास्त्र में बहुत महत्व है, क्योंकि यह आपके घर का प्रवेश द्वार होने के साथ-साथ सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश का मार्ग भी होता है। (Vastu Tips For Home) सही दिशा में और वास्तु के अनुसार बनवाया गया मेन गेट घर में सुख, समृद्धि और शांति लाता है, जबकि वास्तु दोषों के कारण इसमें कोई छोटी गलती भी घर में कई तरह की परेशानियां और नकारात्मकता ला सकती है। इस लेख में हम जानेंगे कि मुख्य द्वार से जुड़े कौन-कौन से वास्तु नियम हैं(Vastu Tips For Home) और इन्हें किस प्रकार अपनाकर आप घर में सकारात्मक ऊर्जा ला सकते हैं।
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मुख्य द्वार की दिशा का महत्व
मुख्य द्वार की दिशा का चयन वास्तु के हिसाब से बहुत ही महत्वपूर्ण है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में मुख्य द्वार सबसे शुभ माना जाता है।
- पूर्व दिशा: इसे सूर्य की दिशा मानी जाती है, जो कि ऊर्जा का प्रतीक है। पूर्व दिशा में मुख्य द्वार रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।
- उत्तर दिशा: यह दिशा कुबेर की दिशा मानी जाती है, जो धन और समृद्धि के देवता हैं। उत्तर दिशा में मुख्य द्वार होने से धन की स्थिति मजबूत होती है।
- उत्तर-पूर्व दिशा: इस दिशा में मुख्य द्वार होने से घर में समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है।
बचने योग्य दिशाएँ: दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व दिशा में मुख्य द्वार बनाना अशुभ माना जाता है। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सकता है और वास्तु दोष उत्पन्न हो सकते हैं।
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द्वार के पास की सफाई और प्रकाश
मुख्य द्वार का आस-पास का वातावरण साफ-सुथरा और उज्ज्वल होना चाहिए। गंदगी और अंधेरा नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है।
- मुख्य द्वार के पास कचरा, गंदगी, या टूटा-फूटा सामान नहीं होना चाहिए।
- दिन में मुख्य द्वार के पास प्राकृतिक प्रकाश का होना शुभ होता है और रात में हल्का कृत्रिम प्रकाश होना आवश्यक है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बेहतर होता है।
- मुख्य द्वार पर किसी प्रकार का कांटेदार पौधा नहीं होना चाहिए क्योंकि यह नकारात्मकता को आमंत्रित करता है।
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द्वार का आकार और डिजाइन
मुख्य द्वार का आकार और डिज़ाइन वास्तु के अनुसार होना चाहिए।
- द्वार का आकार आयताकार या वर्गाकार होना चाहिए, जो वास्तु के अनुसार शुभ माना जाता है। अजीब आकार, जैसे गोल या त्रिकोणीय दरवाजे, घर के लिए वास्तु दोष उत्पन्न कर सकते हैं।
- द्वार का डिज़ाइन भी सरल और सुंदर होना चाहिए। अधिक भड़कीला या बहुत ही डिजाइनर दरवाजा वास्तु दोष ला सकता है।
- द्वार को कभी भी बीच में से दो हिस्सों में विभाजित न करें।
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द्वार का रंग चुनने का तरीका
मुख्य द्वार के रंग का भी वास्तु में महत्वपूर्ण स्थान है। रंग से भी ऊर्जा का संचार होता है, और सही रंग का चयन सकारात्मकता बढ़ा सकता है।
- उत्तर दिशा के लिए: नीला, हरा, या हल्का गुलाबी रंग शुभ माना जाता है।
- पूर्व दिशा के लिए: हल्का हरा, हल्का नीला, या सफेद रंग अच्छा होता है।
- दक्षिण दिशा के लिए: लाल, नारंगी, या मैरून रंग शुभ होता है।
- पश्चिम दिशा के लिए: ग्रे, सिल्वर, या सफेद रंग अच्छा माना जाता है।
- द्वार पर शुभ चिन्ह और प्रतीक
मुख्य द्वार पर शुभ चिन्ह या प्रतीक लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
- स्वास्तिक: मुख्य द्वार पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाना बहुत शुभ माना जाता है। यह समृद्धि और सुख-शांति का प्रतीक है।
- ओम और मंगल कलश: द्वार पर ओम का चिन्ह या मंगल कलश लगाने से घर में शांति और सौभाग्य का संचार होता है।
- तोरण: तोरण का उपयोग मुख्य द्वार पर किया जाता है, यह नारियल के पत्तों और गेंदे के फूलों से बनता है और वास्तु के अनुसार इसका प्रयोग करने से सकारात्मक ऊर्जा आती है।
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द्वार पर गणपति या लक्ष्मी जी की मूर्ति या चित्र
मुख्य द्वार पर गणपति या लक्ष्मी जी की मूर्ति या चित्र लगाना शुभ माना जाता है।
- गणपति: गणेश जी विघ्नों का नाश करते हैं, इसलिए मुख्य द्वार पर उनकी तस्वीर या मूर्ति लगाना शुभ है। यह नकारात्मकता को दूर करता है और बाधाओं को समाप्त करता है।
- लक्ष्मी जी: मुख्य द्वार पर लक्ष्मी जी का चित्र लगाने से धन और समृद्धि का संचार होता है।
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द्वार के सामने खुला स्थान
मुख्य द्वार के सामने खुला स्थान होना बहुत आवश्यक है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, द्वार के सामने खुले स्थान से ऊर्जा का प्रवाह बेहतर होता है।
- मुख्य द्वार के सामने कोई बाधा, जैसे पेड़, बिजली का खंभा, या कोई अन्य दीवार नहीं होनी चाहिए।
- यह ध्यान रखें कि द्वार के सामने रास्ता साफ और खुला रहे।
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द्वार के पास या सामने दर्पण न लगाएं
मुख्य द्वार के पास या सामने दर्पण लगाने से बचना चाहिए।
- दर्पण से ऊर्जा का परावर्तन होता है, (Vastu Tips For Home)और मुख्य द्वार पर दर्पण लगाने से सकारात्मक ऊर्जा बाहर चली जाती है।
- अगर दर्पण आवश्यक है तो इसे द्वार के पास न लगाकर अंदर की दीवार पर लगाएं।
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द्वार के पास टॉयलेट या रसोई न हो
मुख्य द्वार के पास टॉयलेट या रसोई नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है।
- टॉयलेट से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा का असर पूरे घर पर हो सकता है।
- रसोई से आग की ऊर्जा निकलती है, जो मुख्य द्वार के पास होने पर परिवार के सदस्यों में मनमुटाव या असंतोष उत्पन्न कर सकती है।
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मुख्य द्वार का नंबर और ऊंचाई
मुख्य द्वार का नंबर और ऊंचाई भी वास्तु में मायने रखती है।
- मुख्य द्वार का नंबर वास्तु के अनुसार शुभ संख्याओं जैसे 1, 3, 5, 6, 8 और 9 में होना चाहिए। ये अंक सकारात्मकता और समृद्धि को बढ़ावा देते हैं।
- मुख्य द्वार की ऊंचाई सामान्य से थोड़ी अधिक होनी चाहिए, ताकि प्रवेश करते समय किसी को झुकना न पड़े।
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द्वार पर लकड़ी का प्रयोग
मुख्य द्वार पर लकड़ी का उपयोग सबसे अच्छा माना जाता है।
- मुख्य द्वार पर लकड़ी की मजबूत गुणवत्ता का होना जरूरी है, क्योंकि यह स्थायित्व और सुरक्षा का प्रतीक होता है।
- यदि लकड़ी के अलावा किसी अन्य सामग्री का प्रयोग करना पड़े तो इस पर वास्तु सलाहकार से सलाह लें।
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द्वार पर घंटी या बेल का प्रयोग
मुख्य द्वार पर घंटी या बेल का प्रयोग वास्तु में शुभ माना जाता है।
- इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है और घर में शांति का वातावरण बना रहता है।
- इसके अलावा द्वार पर एक छोटे घंटा या घंटी लगाने से घर में शांति और सुख-शांति बनी रहती है।
वास्तु के इन नियमों का पालन करके आप अपने घर के मुख्य द्वार से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ा सकते हैं और नकारात्मकता को दूर रख सकते हैं। यह आपके परिवार के लिए सुख, शांति, और समृद्धि का संचार करेगा। मुख्य द्वार का सही तरीके से निर्माण और सजावट करना आपके जीवन में बड़ी उन्नति ला सकता है, इसलिए इन वास्तु नियमों का पालन जरूर करें।