History of Khatu Shyam ji in Hindi | खाटू श्याम को कलियुग में पूजने का ये है सबसे बड़ा कारण, वजह जानोगे तो आप भी निकल पड़ेंगे दर्शन करने

खाटू श्याम जी का इतिहास: कलियुग में पूजने का सबसे बड़ा कारण
खाटू श्याम जी को हिंदू धर्म में कलियुग के प्रमुख आराध्य देव के रूप में माना जाता है। भक्तगण उन्हें कृष्ण के कलियुग अवतार के रूप में पूजते हैं। खाटू श्याम जी का प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है, जहाँ प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। खाटू श्याम जी का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है, और इन्हें भगवान श्रीकृष्ण का वरदान प्राप्त है।
खाटू श्याम जी का जन्म और महाभारत से संबंध
खाटू श्याम जी का असली नाम बर्बरीक था, जो महाबली भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे। बर्बरीक ने बचपन से ही भगवान शिव और अन्य देवताओं की घोर तपस्या कर तीन अमोघ बाणों का वरदान प्राप्त किया था। इस कारण उन्हें तीन बाणधारी भी कहा जाता है। उनके पास इतनी शक्ति थी कि वे मात्र तीन बाणों से ही महाभारत के युद्ध का निर्णय कर सकते थे।
जब महाभारत का युद्ध प्रारंभ हुआ, तब बर्बरीक ने अपनी माता से कहा कि वे उस पक्ष का समर्थन करेंगे जो कमजोर होगा। उनकी इस प्रतिज्ञा को सुनकर भगवान श्रीकृष्ण ने उनका परीक्षण लेने का निश्चय किया।
श्रीकृष्ण द्वारा बर्बरीक की परीक्षा
श्रीकृष्ण ब्राह्मण के वेश में बर्बरीक के पास गए और उनसे उनकी युद्ध शक्ति के बारे में पूछा। बर्बरीक ने कहा कि वे मात्र तीन बाणों से पूरे युद्ध का निर्णय कर सकते हैं। श्रीकृष्ण ने उनकी शक्ति की परीक्षा लेने के लिए एक पीपल के वृक्ष की सभी पत्तियों को निशाना बनाने के लिए कहा। बर्बरीक ने एक बाण छोड़ा, जिसने सभी पत्तियों को चिह्नित कर दिया, लेकिन श्रीकृष्ण ने एक पत्ती अपने पैर के नीचे छिपा ली। बाण ने तुरंत श्रीकृष्ण के पैर के पास आकर घूमना शुरू कर दिया। इस चमत्कार से श्रीकृष्ण समझ गए कि बर्बरीक की शक्ति अतुलनीय है और यदि वह युद्ध में भाग लेते हैं, तो केवल वही जीवित रहेंगे। इस कारण उन्होंने बर्बरीक से उनका शीश दान माँगा।
बर्बरीक का शीश दान और वरदान
बर्बरीक ने बिना किसी संकोच के अपना शीश श्रीकृष्ण को दान कर दिया। उनके इस बलिदान से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में वे श्याम रूप में पूजे जाएंगे और उनके भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होगी।
श्रीकृष्ण ने बर्बरीक के कटे हुए शीश को वरदान देकर युद्ध देखने के लिए कुरुक्षेत्र में स्थापित कर दिया। युद्ध समाप्त होने के बाद, बर्बरीक का शीश एक नदी में प्रवाहित कर दिया गया। कालांतर में यह शीश राजस्थान के खाटू गाँव में मिला, जहाँ इसे एक मंदिर में स्थापित कर दिया गया और खाटू श्याम जी के रूप में उनकी पूजा होने लगी।
खाटू श्याम जी की पूजा का महत्व
कलियुग में खाटू श्याम जी की पूजा करने के पीछे कई कारण माने जाते हैं:
- कृष्ण का वरदान: खाटू श्याम जी को स्वयं श्रीकृष्ण ने आशीर्वाद दिया था कि वे कलियुग में भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण करेंगे।
- शीघ्र फलदायी: भक्तों का विश्वास है कि खाटू श्याम जी की पूजा करने से जल्दी ही संकट दूर होते हैं।
- संकटमोचक: खाटू श्याम जी को संकटमोचक देवता माना जाता है, जो अपने भक्तों की हर समस्या को दूर करते हैं।
- संतान प्राप्ति: जो दंपति संतान सुख से वंचित होते हैं, वे खाटू श्याम जी की पूजा कर संतान प्राप्त कर सकते हैं।
- रोगों से मुक्ति: कई लोग श्याम बाबा के दरबार में अपनी बीमारियों से मुक्ति के लिए मन्नत माँगते हैं।
खाटू श्याम जी के मंदिर का इतिहास
राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गाँव में स्थित यह मंदिर भारत के सबसे प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 11वीं शताब्दी में बनाया गया था। इस मंदिर में भगवान का शीश संगमरमर के एक पवित्र कुएँ से प्राप्त हुआ था।
प्रमुख आकर्षण
- फाल्गुन मेला: हर साल फाल्गुन मास में खाटू श्याम जी का विशाल मेला लगता है, जिसमें लाखों भक्त आते हैं।
- निशान यात्रा: भक्त निशान (ध्वज) लेकर पैदल यात्रा करते हैं और बाबा के चरणों में अर्पित करते हैं।
- प्रसाद: बाबा को चूरमा, मालपुए, और अन्य मिठाइयाँ भोग में अर्पित की जाती हैं।
खाटू श्याम जी की आरती और भजन
भक्तगण प्रतिदिन खाटू श्याम जी की आरती और भजन-कीर्तन करते हैं। प्रसिद्ध भजन इस प्रकार हैं:
- “श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम”
- “खाटू वाला श्याम तेरा बड़ा नाम है”
- “लीलाएं श्याम की कौन जाने रे”
कैसे पहुँचे खाटू श्याम जी के मंदिर?
- रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन रींगस जंक्शन है, जहाँ से मंदिर तक टैक्सी या बस मिलती है।
- सड़क मार्ग: जयपुर, दिल्ली और अन्य बड़े शहरों से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
- हवाई मार्ग: नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जहाँ से सड़क मार्ग द्वारा मंदिर पहुँचा जा सकता है।
निष्कर्ष
खाटू श्याम जी का इतिहास महाभारत से लेकर कलियुग तक महत्वपूर्ण रहा है। वे भगवान श्रीकृष्ण के वरदान से पूजनीय हुए और आज भी उनके भक्त उन्हें श्रद्धा से पूजते हैं। उनकी भक्ति से न केवल संकट दूर होते हैं, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि भी प्राप्त होती है। खाटू श्याम जी की कृपा जिस पर भी हो जाए, उसका जीवन संवर जाता है।