Shri Krishna History in Hindi | कब और कैसे हुई श्री कृष्ण की मृत्यु, क्या थी उम्र और कितने थे बच्चे- यहां जानिए श्री कृष्ण से जुड़े सभी सवालों के जवाब
भगवान कृष्ण की मृत्यु का इतिहास – History of the death of Lord Krishna
भगवान श्रीकृष्ण को विष्णु के 8वें अवतार के रूप में पूजा जाता है (Shri Krishna History in Hindi) अक्सर हम कृष्ण को मक्खन चोर के रूप में या महाभारत में अर्जुन के सारथी के रूप में याद करते हैं, जिन्होंने युद्ध के बीच उन्हें गीता का ज्ञान दिया था। लेकिन भगवान् श्री कृष्ण के बारे में कुछ ऐसी बातें हैं जो शायद ज्यादातर लोग कम ही जानते हैं जैसे कब और कैसे भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु हुई थी। (Shri Krishna History in Hindi)उनकी उम्र कितनी थी और उनके कितने बच्चें थे। आज हम आपको ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब देंगे।
कैसे हुई कृष्ण की मृत्यु– How Did Krishna Die?
भारतीय धार्मिक साहित्य के अनुसार, कृष्ण की मृत्यु की कई कथाएं हैं।(how does lord krishna die) एक प्रमुख कथा अनुसार, कृष्ण के शरीर का अंतिम समय गोलोक वृन्दावन में हुआ। उनकी मृत्यु एक बाण द्वारा हुई, जिसे उनके पुत्र और शत्रु अर्जुन ने गन्धीव धनुष से लगाया। इस कथा के अनुसार, कृष्ण ने विध्वंस का उपाय चुना, ताकि वह अपने शरीर को छोड़कर अपने लोक में वापस जा सकें।एक और कथा कहती है (how did shri krishna died) कि कृष्ण की मृत्यु उनके पैरों में एक घाव के कारण हुई, जो उन्हें गरुड़ पक्षी के प्रतिरूप में धरती पर आने के समय हुआ था।(shri krishna history in hindi) इस कथा के अनुसार, कृष्ण ने अपने शरीर को छोड़कर अपने धाम वापस लिया।(Shri Krishna History in Hindi) यहां तक कि श्रीमद् भगवद गीता में भी कहा गया है कि कृष्ण ने कहा था कि वह अपने शरीर को छोड़कर आया है।
श्रीकृष्ण की कितनी उम्र थी – How Old Was Shri Krishna
श्रीकृष्ण के जन्म की तिथि के अनुसार, उनकी विभिन्न पौराणिक और इतिहासिक पुस्तकों में उम्र का वर्णन है। (shri krishna) विभिन्न संस्कृत पुस्तकों और पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्रीकृष्ण का जन्म समय लगभग 5,000 वर्ष पूर्व हुआ था। इसके अनुसार, उनकी उम्र के आधार पर वे लगभग 5,000 साल पूर्व में थे।
भगवान श्रीकृष्ण की कितनी पत्नियां थी – How many wives did Lord Krishna have?
हिंदू पौराणिक कथाओं और ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की कुल 16,108 पत्नियां थीं।(bhagwan krishna history in hindi) प्रमुख पत्नियों में से कुछ हैं रुक्मिणी, सत्यभामा, जांबवती, कालिंदी, सत्या, लक्ष्मणा, नागनंदिनी और मित्राविंदा। (how many wives did shri krishna have) इनके अलावा, उनकी अनेक साधारण पत्नियां भी थीं।
भगवान कृष्ण के कितने पुत्र थे– How many sons did Lord Krishna have?
भगवान कृष्ण के आठ पुत्र थे। प्रद्युम्न, साँब ,अनिरुद्ध गद, निकुम्भ, साँब, भानु, विर, इनके, अलावा, कृष्ण के और भी बहुत से पुत्र और पुत्रियाँ थीं,(lord krishna son) जिनका वर्णन मुख्यतः पुराणों में मिलता है।
कृष्ण ने राधा से विवाह क्यों नहीं किया? – Why did Krishna not marry Radha
कृष्ण और राधा के प्रेम की कई विभिन्न कथाएँ और किस्से हैं जो हिंदू धर्म में प्रसिद्ध हैं। हालांकि, यह बात सटीकता से निर्धारित नहीं की जा सकती कि कृष्ण ने राधा से विवाह क्यों नहीं किया। एक स्थिति के अनुसार, राधा के परिवार में कई बारिकों के वजह से कृष्ण और राधा का विवाह नहीं हो सका। (birth history of lord krishna) दूसरी कथा यह कहती है कि कृष्ण और राधा का प्रेम दिव्य और अद्वितीय था, जिसमें वे लौकिक विवाह के बारे में सोचने की आवश्यकता महसूस नहीं करते थे। (why did krishna ji not married radha) उनका प्रेम अधिकतम आध्यात्मिक और आत्मिक स्तर पर था, जो कि संसारिक विवाह के परिप्रेक्ष्य में अधिक महत्वपूर्ण था। इसके अतिरिक्त, कई धार्मिक परंपराओं में माना जाता है कि कृष्ण और राधा का प्रेम दिव्य और अद्वितीय था, जिसे भगवान की आत्मीय लीला का हिस्सा माना जाता है। इस दृष्टिकोण से, उनके प्रेम को भगवान की अनन्य भक्ति का प्रतीक माना जाता है, (why did radha and krishna not get married) जो मुक्ति की ओर बल लेता है। इस प्रेम का उदाहरण मानवीय नियमों या सामाजिक प्रतिबंधों के अधीन नहीं आता।
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भगवान कृष्ण किस रंग के थे – What color was Lord Krishna?
भगवान कृष्ण के रंग के बारे में हिंदू धर्म में विभिन्न परंपराओं और कथाओं में विचारण किया गया है।(history about krishna) कुछ कथाओं में, वे नीले रंग के होते हैं, जबकि कुछ में उन्हें श्याम या काले रंग का वर्णन किया गया है।(what color is lord krishna) हालांकि, श्रीमद्भगवद्गीता में उन्हें “श्याम” रंग के विवरण में वर्णित किया गया है। इसके अलावा, भगवान कृष्ण को आदिवासी या गोपियों के साथ रासलीला में अक्सर गहरे नीले रंग में पहने हुए पाया जाता है। इसलिए, उनके रंग को लेकर विभिन्न संस्कृतियों और क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न पारंपरिक धारणाएँ हैं।(what is the real colour of lord krishna) वेदों के अनुसार, भगवान कृष्ण और विष्णु को हमेशा सांवले रंग का दिखाया गया है। (shree krishna history) इसी वजह से उन्हें सांवला सुंदर भी कहा जाता है।
भगवान कृष्ण को किन नामों से जाना जाता है – By what names is Lord Krishna known
श्रीकृष्ण को कान्हा, कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, मुरारी नन्दलाल मधुसूदन यशोदानंदन मखनचोर रासबिहारी बांकेबिहारी द्वारकेश या द्वारकाधीश और वासुदेव आदि नामों से जाना जाता है।(what is lord krishna known for) ये केवल कुछ उदाहरण हैं, भगवान कृष्ण के अनेक नाम हैं, (Shri Krishna History in Hindi)जो उनके विभिन्न गुणों, लीलाओं, और अद्भुतताओं को व्यक्त करते हैं।
कृष्ण को बांसुरी किसने दी थी – Who gave the flute to Krishna
कृष्ण को बांसुरी उनके गुरु, संदीपनि मुनि ने दी थी। (krishna flute) संदीपनि मुनि एक प्रसिद्ध गुरु थे और उन्होंने कृष्ण को बांसुरी खेलने की शिक्षा दी थी। (bansuri for krishna) इसे भागवत पुराण में उल्लेख किया गया है। कृष्ण की बांसुरी की ध्वनि उनके लीलाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था और उनके लीलाएँ इसे बहुत ही प्रसिद्ध बनाती हैं।
श्री कृष्ण का जन्म कब हुआ – When Shri Krishna was born
भगवान कृष्ण का जन्म 3112, 27 जुलाई, ईसा पूर्व आधी रात 2 के आसपास हुआ था।(when was shri krishna born) द्वापर युग में उत्तर प्रदेश के मथुरा नगर में वृंदावन में वसंत ऋतु के आयुर्वेद में हुए थे। उनके जन्म का दिन जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है और यह हिन्दू पंचांग के अनुसार भद्रपद मास की अष्टमी तिथि को पड़ती है।
जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है – Why is Janmashtami celebrated
जन्माष्टमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।(janmashtami why celebrate) इस दिन कृष्ण भगवान का जन्म हुआ था, जो हिंदू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं। (why do we celebrate janmashtami) जन्माष्टमी के अवसर पर लोग मंदिरों में पूजा, आराधना, भजन-कीर्तन करते हैं। कई स्थानों पर रासलीला भी आयोजित की जाती है, जिसमें भगवान कृष्ण की लीलाएं दिखाई जाती हैं। इस त्योहार को उत्सव, रंग-बिरंगे धूमधाम से मनाया जाता है। (history of shri krishna) जन्माष्टमी के दिन लोग व्रत रखते हैं और साधना में लगते हैं ताकि वे भगवान कृष्ण की कृपा पा सकें। इस त्योहार को भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
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